ईश जगत में रम रहा , ज्यो
पथ में नवनीत


एक बार एक व्यक्ति ने संत इब्राहीम से पूछा, "क्या आप  बता सकेगे कि खुदा कहाँ निवास करता है ?" इब्राहीम ने दूध मगाकर उस व्यक्ति से प्रश्न किया ,क्या आप इस दूध से मक्खन या घी दिखा सकेगे ?" उस  व्यक्ति ने उत्तर दिया , "मक्खन या घी  दूध में ही है !  इनका अस्तित्त्वा है ,पर दिखाई नहीं देता !"संत ने कहा ठीक कहते है आप खुदा(ईश्वर) भी दूध के अंदर मक्खन के  समान है होते हुए भी दिखाई नहीं देता ईश्वर का वास आपके दिल में है मगर दिखाई नही देता है ! उसके लिये  कठिन साधना ,लगन ,ह्रदय कि निर्मलता ,प्रेम में समर्पण,तड़प होनी चाहिये ! ईश्वर को पाने या देखने के लिये अपने कलुषित अन्तःकरण का मंथन करके उसे निर्मल बनाना होगा ! 
   
जीव लोहा है और ईश्वर चुम्बक
जैसे दीपक में तेल न हो, तो वह जल नहीं सकता, वैसे ही ईश्वर न हो, तो मनुष्य जी नहीं सकता ! ईश्वर और जीव का बहुत ही निकट का सम्बन्ध है - जैसे चुम्बक और लोहे का ; तो भी ईश्वर जीव को आकर्षित क्यों नहीं कर पता ? यदि लोहे पर बहुत अधिक कीचड लिपटा हो, तो जैसे  वह चुम्बक के द्वारा आकृष्ट नहीं होता, वैसे ही जीव यदि मायारूपी कीचड में अत्यधिक लिपता हो, तो उस पर ईश्वर के आकर्षण का असर नहीं होता ! फिर जैसे कीचड को जल से धो डालने पर लोहा चुम्बक की ओर खिचने लगता है , वैसे ही जब जीव अवरित प्रार्थना और पश्चाताप  के आशुओं से इस संसार -बन्धन में डालनेवाली माया के कीचड को धो डालता है, तब वह तेजी से ईश्वर की ओर खिचता चला जाता है !
संसार में कैसे रहे ?
कुछ लोगो से खूब सावधान रहना पड़ता है !
·       पहला - बड़े आदमी ! वो चाहे तो तुम्हे नुक्सान पंहुचा सकते है क्योंकि उनके हाथ में बहुत धनजन  और सामर्थ है ! इसलिए कभी कभी जो  कुछ कहेउसी में हामी भरते जाना पड़ता है !

·       दूसरा- सांड ! सींह मारने आये तो उसे मुह से आवाज करते हुए ठंडा करना पड़ता है !

·       तीसरा- कुत्ता ! जब भोक्ता हुआ काटने दौड़ता हैतो उसे भी ठहर कर मुह से पुचकारते हुए शांत करना पड़ता है !

·       चौथा – शराबी ! उसे अगर छेड दो तो "तेरी ऐसी कि तैसी" कहते हुए तुम्हारी चौदह पीढियों को गालिया देगा ! पर  उससे यदि प्रेम  से कहो, "क्यों चाचाकैसे हो ?" तो एकदम खुश होकर तुम्हारे पास बैठकर खूब बातचीत करने लगेगा !

2 comments:

  1. Jai gurudev...
    Aap hi Jeev-Eshavar ki vykha kar sakte he
    AAp Trikal Darshi He..
    Aap God se direct jude hue he
    Aap ko abhi dunia samajh nahi pa rahi he..
    Aap ki kripa se sab kuch sambhav he..
    Aap ki drishti bhar se klyan ho sakta he..
    Aap ke liye manviya karya tuchya he...
    Aap purn purush he...
    Aap jald puri tarah manviya karya se dur jakar sansar ko naya marg pradya karenge...

    Nirmala Bhopal
    Ek dukhiyari
    AAP ke Charno ki Dasi...

    ReplyDelete
  2. Jai Mahakal; Jai Maa Kamakhya..
    Jeevan ka param dheya Ishwaratwa ko prapt karna hai. Ishwaratwa apane bhitar hi hai, par us ishawartwa se saakchhatkar hone ke lie Ishwar ki Kripa ki awashyakta hoti hai. Aapka sannidhya mila, aur yahi bhagwan Mahakal ki Kripa hai..Aapke madhyam se hi apne oopar laga hua keechad saaf ho sakta hai jisase ki bhagwan ki chumbakatwa shakti hume kheench sake..
    Charan Sparsh Pranam
    Ram

    ReplyDelete